Thursday, 11 September 2025

कविता. ५६२७. आशाओं की महफिल अक्सर।

                       आशाओं की महफिल अक्सर।

आशाओं की महफिल अक्सर उमंग दिलाती है दास्तानों को नजारों की सरगम पुकार सुनाती है तरानों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर आस दिलाती है बदलावों को धाराओं की समझ अहमियत सुनाती है अरमानों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर आवाज दिलाती है लम्हों को एहसासों की सौगात तलाश सुनाती है दिशाओं की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर जज्बात दिलाती है किनारों को अंदाजों की परख अफसाना सुनाती है अदाओं की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर सुबह दिलाती है जज्बातों को खयालों की रोशनी इरादा सुनाती है कदमों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर उम्मीद दिलाती है अरमानों को लम्हों की कहानी मुस्कान सुनाती है इरादों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर अंदाज दिलाती है सपनों को अदाओं की सोच बदलाव सुनाती है उजालों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर लहर दिलाती है अल्फाजों को इशारों की कोशिश आस सुनाती है अदाओं की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर अफसाना दिलाती है कदमों को आवाजों की धून पुकार सुनाती है अंदाजों की पहचान दिलाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर कोशिश दिलाती है राहों को अरमानों की उमंग सरगम सुनाती है दिशाओं की पहचान दिलाती है।

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