Tuesday, 16 September 2025

कविता. ५६३२. आवाज की सरगम संग।

                          आवाज की सरगम संग।

आवाज की सरगम संग आशाओं की महफिल कोशिश दिलाती है दास्तानों को नजारों की आहट अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग अंदाजों की रोशनी अल्फाज दिलाती है दिशाओं को एहसासों की अहमियत अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग तरानों की सोच बदलाव दिलाती है लहरों को खयालों की सौगात अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग जज्बातों की पुकार सहारा दिलाती है अंदाजों को सपनों की आहट अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग धाराओं की कोशिश आस दिलाती है अरमानों को कदमों की मुस्कान अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग किनारों की अहमियत उमंग दिलाती है अल्फाजों को एहसासों की सुबह अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग दास्तानों की समझ उम्मीद दिलाती है बदलावों को इरादों की तलाश अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग एहसासों की सुबह उजाला दिलाती है इशारों को जज्बातों की परख अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग अल्फाजों की राह नजारा दिलाती है कदमों को सपनों की पहचान अफसाना सुनाती है।

आवाज की सरगम संग अरमानों की आस कोशिश दिलाती है अदाओं को दिशाओं की उम्मीद अफसाना सुनाती है।

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