Sunday, 7 September 2025

कविता. ५६२३. इशारों की मुस्कान संग।

                          इशारों की मुस्कान संग।

इशारों की मुस्कान संग आशाओं के एहसासों की पुकार मिलती है अक्सर जज्बातों को बदलावों की रोशनी उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग अरमानों के आवाजों की धून मिलती है अक्सर उजालों को दास्तानों की अहमियत उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग अंदाजों के कदमों की आस मिलती है अक्सर अफसानों को अल्फाजों की दुनिया उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग दिशाओं के बदलावों की समझ मिलती है अक्सर इरादों को लहरों की कोशिश उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग उम्मीदों के धाराओं की सौगात मिलती है अक्सर नजारों को दिशाओं की महफिल उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग दास्तानों के लहरों की कोशिश मिलती है अक्सर लम्हों को कदमों की आवाज उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग सपनों के किनारों की आवाज मिलती है अक्सर अंदाजों को आशाओं की महफिल उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग तरानों के धाराओं की पहचान मिलती है अक्सर खयालों को अरमानों की परख उमंग सुनाती है।

इशारों की मुस्कान संग अफसानों के राहों की कोशिश मिलती है अक्सर लम्हों को अल्फाजों की आस उमंग सुनाती है।

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