Thursday, 18 September 2025

कविता. ५६३४. दिशाओं को दास्तानों संग।

                         दिशाओं को दास्तानों संग।

दिशाओं को दास्तानों संग आशाओं की कोशिश अरमान दिलाती है नजारों से जुडकर आवाज अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग अंदाजों की रोशनी सपना दिलाती है खयालों से जुडकर पहचान अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग कदमों की सौगात आहट दिलाती है लहरों से जुडकर तलाश अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग तरानों की आवाज मुस्कान दिलाती है एहसासों से जुडकर खयाल अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग किनारों की उमंग जज्बात दिलाती है अरमानों से जुडकर सरगम अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग उम्मीदों की अहमियत तराना दिलाती है इशारों से जुडकर रोशनी अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग उजालों की सुबह बदलाव दिलाती है कदमों से जुडकर सरगम अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग जज्बातों की महफिल पुकार दिलाती है आशाओं से जुडकर आस अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग लम्हों की आवाज सपना दिलाती है किनारों से जुडकर उम्मीद अफसाना सुनाती है।

दिशाओं को दास्तानों संग अरमानों की सोच पहचान दिलाती है अंदाजों से जुडकर कोशिश अफसाना सुनाती है।

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