Friday, 12 September 2025

कविता. ५६२८. राहों की रोशनी से।

                               राहों की रोशनी से।

राहों की रोशनी से आशाओं की लहर एहसास सुनाती है खयालों को अरमानों की सोच सौगात दिलाती है उजालों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से आवाजों की धून बदलाव सुनाती है लहरों को एहसासों की कोशिश पहचान दिलाती है जज्बातों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से अंदाजों की पुकार अल्फाज सुनाती है इशारों को अदाओं की आहट तलाश दिलाती है कदमों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से दिशाओं की महफिल सोच सुनाती है नजारों को लम्हों की पुकार अफसाना दिलाती है सपनों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से कदमों की पहचान आवाज सुनाती है आशाओं को तरानों की सरगम सपना दिलाती है दास्तानों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से किनारों की मुस्कान तराना सुनाती है अरमानों को लहरों की कहानी उम्मीद दिलाती है किनारों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से बदलावों की आस जज्बात सुनाती है अंदाजों को दिशाओं की महफिल उमंग दिलाती है इशारों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से अदाओं की कोशिश अफसाना सुनाती है उम्मीदों को किनारों की परख उजाला दिलाती है धाराओं की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से अरमानों की सोच खयाल सुनाती है बदलावों को दास्तानों की समझ अफसाना दिलाती है उम्मीदों की सुबह दिलाती है।

राहों की रोशनी से इशारों की तलाश उम्मीद सुनाती है किनारों को अंदाजों की पुकार अहमियत दिलाती है तरानों की सुबह दिलाती है।

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कविता. ५६३०. कदमों की सौगात संग।

                            कदमों की सौगात संग। कदमों की सौगात संग अरमानों की समझ इशारा दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट एहसास देकर आगे बढती...