Wednesday, 17 September 2025

कविता. ५६३३. राहों को अरमानों संग।

                            राहों को अरमानों संग।

राहों को अरमानों संग आवाज तराना सुनाती है इशारों को जज्बातों की रोशनी समझ सुनाती है दिशाओं की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग पुकार खयाल सुनाती है उजालों को आशाओं की सरगम कोशिश सुनाती है किनारों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग उमंग अफसाना सुनाती है कदमों को अल्फाजों की सोच इरादा सुनाती है लहरों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग पहचान आस सुनाती है एहसासों को अदाओं की अहमियत मुस्कान सुनाती है तरानों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग सौगात परख सुनाती है आवाजों को धाराओं की आस उम्मीद सुनाती है खयालों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग सुबह उम्मीद सुनाती है अदाओं को दिशाओं की आहट पहचान सुनाती है अंदाजों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग उम्मीद तलाश सुनाती है लम्हों को नजारों की कोशिश कहानी सुनाती है उजालों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग आहट इरादा सुनाती है बदलावों को तरानों की सोच अंदाज सुनाती है दास्तानों की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग सरगम मुस्कान सुनाती है उजालों को सपनों की पहचान कोशिश सुनाती है आशाओं की महफिल सुनाती है।

राहों को अरमानों संग लहर एहसास सुनाती है बदलावों को लम्हों की पुकार अफसाना सुनाती है इशारों की महफिल सुनाती है।

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कविता. ५६३३. राहों को अरमानों संग।

                            राहों को अरमानों संग। राहों को अरमानों संग आवाज तराना सुनाती है इशारों को जज्बातों की रोशनी समझ सुनाती है दिशाओं...