Thursday, 4 September 2025

कविता. ५६२०. दिशाओं की समझ संग।

                           दिशाओं की समझ संग।

दिशाओं की समझ संग आवाजों की धून एहसास दिलाती है लहरों को कदमों की महफिल बदलाव सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग किनारों की रोशनी अफसाना दिलाती है तरानों को अल्फाजों की मुस्कान खयाल सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग नजारों की अहमियत उजाला दिलाती है इशारों को जज्बातों की पुकार कोशिश सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग अरमानों की सोच आवाज दिलाती है खयालों को सपनों की पहचान अंदाज सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग आशाओं की परख आहट दिलाती है आवाजों को तरानों की सरगम इशारा सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग जज्बातों की सौगात तलाश दिलाती है इरादों को बदलावों की आस अरमान सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग खयालों की सुबह उम्मीद दिलाती है अल्फाजों को राहों की रोशनी अफसाना सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग दास्तानों की राह पहचान दिलाती है एहसासों को अरमानों की आहट अल्फाज सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग तरानों की पुकार अंदाज दिलाती है लम्हों को आशाओं की कोशिश जज्बात सुनाकर जाती है।

दिशाओं की समझ संग उम्मीदों की तलाश आस दिलाती है दास्तानों को उजालों की पहचान कहानी सुनाकर जाती है।

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कविता. ५६३०. कदमों की सौगात संग।

                            कदमों की सौगात संग। कदमों की सौगात संग अरमानों की समझ इशारा दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट एहसास देकर आगे बढती...