Wednesday, 24 September 2025

कविता. ५६४०. किनारों पर सपनों की।

                         किनारों पर सपनों की।

किनारों पर सपनों की आहट उमंग दिलाती है जज्बातों को बदलावों की पुकार मुस्कान दिलाती है लम्हों की अहमियत तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की कोशिश सरगम दिलाती है दास्तानों को अरमानों की आस एहसास दिलाती है खयालों की रोशनी तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की सुबह अफसाना दिलाती है इशारों को अदाओं की धून अल्फाज दिलाती है लहरों की कहानी तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की पहचान लम्हा दिलाती है अंदाजों को नजारों की समझ उजाला दिलाती है आशाओं की सरगम तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की सौगात अंदाज दिलाती है तरानों को बदलावों की कहानी आवाज दिलाती है दास्तानों की परख तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की सोच खयाल दिलाती है उजालों को आशाओं की महफिल इशारा दिलाती है अफसानों की उमंग तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की सरगम आवाज दिलाती है उम्मीदों को इशारों की पुकार अरमान दिलाती है राहों की आहट तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की उम्मीद दास्तान दिलाती है कदमों को लहरों की पहचान अफसाना दिलाती है खयालों की उम्मीद तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की आस बदलाव दिलाती है इशारों को जज्बातों की रोशनी अल्फाज दिलाती है दिशाओं की कोशिश तलाश दिलाती है।

किनारों पर सपनों की परख एहसास दिलाती है उजालों को आशाओं की पुकार दास्तान दिलाती है इरादों की सोच तलाश दिलाती है।

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