Friday, 19 September 2025

कविता. ५६३५. आशाओं से मिलकर।

                          आशाओं से मिलकर।

आशाओं से मिलकर दिशा एहसास‌ सुनाती है उजालों को नजारों संग धाराओं की पहचान इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर अरमान अल्फाज सुनाती है खयालों को सपनों संग आवाजों की सरगम इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर लहर कोशिश सुनाती है बदलावों को अंदाजों संग एहसासों की मुस्कान इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर रोशनी तलाश सुनाती है अल्फाजों को राहों संग सपनों की आहट इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर परख अहमियत सुनाती है लम्हों को कदमों संग जज्बातों की अंदाज इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर पुकार दास्तान सुनाती है आवाजों को उजालों संग अरमानों की‌ आस इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर आहट तराना सुनाती है जज्बातों को अंदाजों संग एहसासों की सरगम इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर सोच उमंग सुनाती है एहसासों को लहरों संग अफसानों की सौगात इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर सुबह सपना सुनाती है अरमानों को तरानों संग जज्बातों की आवाज इशारा देकर जाती है।

आशाओं से मिलकर आस खयाल‌ सुनाती है किनारों को दास्तानों संग किनारों की मुस्कान इशारा देकर जाती है।

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कविता. ५६३५. आशाओं से मिलकर।

                          आशाओं से मिलकर। आशाओं से मिलकर दिशा एहसास‌ सुनाती है उजालों को नजारों संग धाराओं की पहचान इशारा देकर जाती है। आशाओ...