Sunday, 14 September 2025

कविता. ५६३०. कदमों की सौगात संग।

                            कदमों की सौगात संग।

कदमों की सौगात संग अरमानों की समझ इशारा दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट एहसास देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग आवाजों की धून खयाल दिलाती है किनारों को अंदाजों की पुकार अल्फाज देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग आशाओं की सरगम दास्तान दिलाती है तरानों को बदलावों की आस जज्बात देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग लहरों की कहानी बदलाव दिलाती है आवाजों को धाराओं की तलाश मुस्कान देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग इशारों की पहचान पुकार दिलाती है खयालों को नजारों की आवाज इरादा देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग एहसासों की उमंग उजाला दिलाती है राहों को अरमानों की सोच कोशिश देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग जज्बातों की सुबह रोशनी दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की आस तराना देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग दिशाओं की महफिल कोशिश दिलाती है अरमानों को अल्फाजों की राह अंदाज देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग उजालों की आस पहचान दिलाती है अफसानों को आशाओं की सरगम बदलाव देकर आगे बढती है।

कदमों की सौगात संग सपनों की लहर तलाश दिलाती है इशारों को जज्बातों की अहमियत आवाज देकर आगे बढती है।

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कविता. ५६३०. कदमों की सौगात संग।

                            कदमों की सौगात संग। कदमों की सौगात संग अरमानों की समझ इशारा दिलाती है लम्हों को सपनों की आहट एहसास देकर आगे बढती...