Saturday, 27 September 2025

कविता. ५६४३. खयालों को सपनों की।

                            खयालों को सपनों की।

खयालों को सपनों की आहट इशारा देकर जाती है जज्बातों की अदाएं अक्सर उजालों का किनारा देकर जाती है।

खयालों को सपनों की कोशिश उमंग देकर जाती है आवाजों की पहचान अक्सर अंदाजों का अफसाना देकर जाती है।

खयालों को सपनों की मुस्कान उजाला देकर जाती है आशाओं की सरगम अक्सर जज्बातों का इरादा देकर जाती है।

खयालों को सपनों की सुबह बदलाव देकर जाती है तरानों की पुकार अक्सर सौगातों का इशारा देकर जाती है।

खयालों को सपनों की तलाश एहसास देकर जाती है दिशाओं की आहट अक्सर लहरों का अरमान देकर जाती है।

खयालों को सपनों की सरगम आवाज देकर जाती है उम्मीदों की तलाश अक्सर अल्फाजों का नजारा देकर जाती है।

खयालों को सपनों की समझ अल्फाज देकर जाती है राहों की रोशनी अक्सर दास्तानों का तराना देकर जाती है।

खयालों को सपनों की आस तलाश देकर जाती है बदलावों की आस अक्सर दिशाओं का लम्हा देकर जाती है।

खयालों को सपनों की रोशनी पहचान देकर जाती है दास्तानों की समझ अक्सर आवाजों का एहसास देकर जाती है।

खयालों को सपनों की उम्मीद नजारा देकर जाती है कदमों की पहचान अक्सर आशाओं का बदलाव देकर जाती है।

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