Monday, 22 September 2025

कविता. ५६३८. खयालों की सरगम संग।

                           खयालों की सरगम संग।

खयालों की सरगम संग आशाओं की पुकार अफसाना दिलाती है लम्हों को एहसासों की कोशिश कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग अंदाजों की सोच उजाला दिलाती है किनारों को कदमों की सौगात कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग दास्तानों की उमंग मुस्कान दिलाती है अल्फाजों को नजारों की रोशनी कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग तरानों की आस बदलाव दिलाती है इशारों को जज्बातों की पुकार कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग किनारों की सुबह आवाज दिलाती है लहरों को बदलावों की आहट कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग धाराओं की समझ पहचान दिलाती है आवाजों को दिशाओं की महफिल कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग अफसानों की सौगात तलाश दिलाती है धाराओं को अफसानों की राह कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग कदमों की आस एहसास दिलाती है जज्बातों को दास्तानों की आवाज कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग लहरों की आहट उमंग दिलाती है आशाओं को अंदाजों की परख‌ कहानी दिलाती है।

खयालों की सरगम संग इशारों की पहचान तराना दिलाती है आवाजों को अल्फाजों की दुनिया कहानी दिलाती है।

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