Sunday 6 November 2016

कविता. १०३२. हर कदम कि एक राह।

                                                  हर कदम कि एक राह।
हर कदम कि एक राह बनती है क्योंकि राह चुपके से कदमों को जुडती रहती है राह हर बार कदमों का एहसास देकर आगे चलती जाती है क्योंकि कदमों को राह मे समझ लेने कि अहमियत हर पल हर बार होती है जो आगे लेकर चलती है।
हर कदम कि एक राह अनजाने मे बनती है जब कि हमारी कदमों को कई राहे तलाश कर लेने कि चाहत होती है क्योंकि कदमों को हर पल दुनिया को ढूँढने कि चाहत होती है जो जीवन को अक्सर राहों को बदलकर जाने कि सलाह देकर चलती है।
हर कदम कि एक राह हमे बनाकर चलने कि जरुरत नही होती है कदमों को तो कई राहे समझ लेने कि चाहत हर बार रहती है क्योंकि कदमों से ही तो जीवन कि नई रफ्तार देकर चलती है क्योंकि कदमों कि कहानी तो राह से भी आगे चलती है।
हर कदम कि एक राह पर अलग कहानी बनती है पर जब कदम राह से जुड जाते है तो जीवन कि आवाज बदलती हुई हर बार आगे चलती है क्योंकि जीवन मे कदमों को पहचान लेने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन को अक्सर आगे लेकर चलती है।
हर कदम कि एक राह जब हो जाती है तब राह पर बसी सोच भी तो वही सोच जीवन कि राह बन जाती है जो अक्सर जीवन को और दिशाए नही दिखा पाती है क्योंकि कदमों मे ही तो जीवन कि दिशाए परख लेने कि ताकद होती है जो आगे चलती है।
हर कदम कि एक राह नही होती है क्योंकि कदमों को अक्सर अलग तरह कि उम्मीदों कि तलाश हर बार होती है जो जीवन मे कदमों को कई तरह के एहसास देकर आगे बढती है जिन्हे कई राहों पर जाने से ही दुनिया दे जाती है जिस से जीवन कि साँसे चलती है।
हर कदम कि एक राह जाने क्यूँ बन जाती है जीवन मे उलझन कुछ ऐसे बढती है कि जीवन कि धारा हर मौके पर बदलने कि जगह वही गीत दोहराती है जिसमे कई गीतों कि जरुरत होती है वह राह ही फिर एक उलझन बनकर आगे चलती है।
हर कदम कि एक राह एक जब होती है तब मन कि दुनिया कोई अलग एहसास नही समझ पाती है जीवन कि बाते सुनने कि चाह हर बार अहम बनती हुई नजर आती है क्योंकि राहों से गुजरकर ही तो कदमों को मंजिल कि तलाश मिलती है जो उम्मीदों कि ओर लेकर चलती है।
हर कदम कि एक राह नही होती है क्योंकि कदमों कि कहानी को कुछ और ही तलाश रहती है जो कदमों से भी दुनिया को आगे लेकर जाती है कई राहों से गुजरकर ही तो मंजिल कि कहानी बना पाती है जिसे समझ लेने कि हर बार चाह होती है जो आगे लेकर चलती है।
हर कदम कि एक राह फिर भी जब बन जाती है तब जीवन को समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर बार दिशाए देकर आगे बढती है हर कदम के अंदर जीवन कि धाराओं को समझ अलग तरह कि होती है जो कदमों को ताकद दे चलती है।
हर कदम कि एक राह जब बन जाती है पर वह एक राह आगे बढती है वह सही सोच पर लेकर नही चलती है क्योंकि जीवन मे कदमों को परखकर आगे बढते जाने कि जरुरत होती है जो हमे उम्मीदे तभी देती है जब कदमों कि दिशाए कई राहों पर चलती है।

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