Wednesday 15 November 2023

कविता. ४९९१. जज्बात को लम्हों की।

                                जज्बात को लम्हों की।

जज्बात को लम्हों की पहचान सहारा दिलाती है कदमों को उजालों संग बदलावों की मुस्कान तराना सुनाती है खयालों से अल्फाजों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की सरगम कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों संग अरमानों की सोच अफसाना सुनाती है किनारों से आवाजों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की उमंग एहसास दिलाती है नजारों को दिशाओं संग दिशाओं की कहानी तलाश सुनाती है अफसानों से लहरों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की तलाश किनारा दिलाती है उम्मीदों को अदाओं संग खयालों की सौगात सरगम सुनाती है अंदाजों से अफसानों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की उम्मीद सुबह दिलाती है राहों को अरमानों संग आशाओं की कोशिश सोच सुनाती है दास्तानों से नजारों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की आस अल्फाज दिलाती है तरानों को अंदाजों संग इरादों की सोच अरमान सुनाती है आशाओं से खयालों की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की कहानी खयाल दिलाती है सपनों को एहसासों संग किनारों की पुकार पहचान सुनाती है बदलावों से धाराओं की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की रोशनी परख दिलाती है अंदाजों को इरादों संग उम्मीदों की कहानी उमंग सुनाती है दिशाओं से अदाओं की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की पुकार आस दिलाती है लहरों को दिशाओं संग उजालों की राह तलाश सुनाती है कदमों से धाराओं की समझ सुनाती है।

जज्बात को लम्हों की उमंग सौगात दिलाती है इरादों को आशाओं संग कदमों की आहट सरगम सुनाती है अदाओं से एहसासों की समझ सुनाती है।

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