Tuesday, 28 November 2023

कविता. ५००४. किनारों को सपनों संग अक्सर।

                        किनारों को सपनों संग अक्सर।

किनारों को सपनों संग अक्सर जज्बातों से तलाश दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की कहानी पहचान दिलाती है नजारों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर तरानों से आवाज दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार अफसाना दिलाती है दास्तानों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर खयालों से उमंग दिलाती है आशाओं को बदलावों की मुस्कान आस दिलाती है लहरों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर अरमानों से इशारा दिलाती है लम्हों को दास्तानों की परख अल्फाज दिलाती है कदमों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर नजारों से सुबह दिलाती है इरादों को आशाओं की सोच सहारा दिलाती है अंदाजों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर आशाओं से उम्मीद दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी सौगात दिलाती है एहसासों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर लम्हों से खयाल दिलाती है अंदाजों को इरादों की तलाश पहचान दिलाती है उजालों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर सपनों से अल्फाज दिलाती है बदलावों को राहों की सुबह एहसास दिलाती है कदमों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर इशारों से सरगम दिलाती है उम्मीदों को अफसानों की समझ सौगात दिलाती है इरादों से कोशिश सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अक्सर अफसानों से आस दिलाती है लहरों को इशारों की रोशनी तराना दिलाती है जज्बातों से कोशिश सुनाती है।

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