Friday, 17 November 2023

कविता. ४९९३. किनारों को खयालों की।

                            किनारों को खयालों की।

किनारों को खयालों की मुस्कान पहचान दिलाती है लहरों को इशारों की समझ तलाश सुनाती है कदमों को अदाओं संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की सोच सरगम दिलाती है सपनों को अरमानों की आहट उमंग सुनाती है तरानों को जज्बातों संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की उम्मीद तलाश दिलाती है तरानों को अल्फाजों की सोच अफसाना सुनाती है आवाजों को बदलावों संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की कोशिश नजारा दिलाती है अंदाजों को लम्हों की परख लहर सुनाती है अंदाजों को इरादों संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की राह अफसाना दिलाती है इशारों को उजालों की सुबह सपना सुनाती है जज्बातों को अंदाजों संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की उमंग सौगात दिलाती है राहों को दास्तानों की समझ रोशनी सुनाती है उम्मीदों को अल्फाजों संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की रोशनी उजाला दिलाती है उजालों को अरमानों की मुस्कान पुकार सुनाती है एहसासों को अदाओं संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों को कदमों की आहट बदलाव सुनाती है नजारों को दिशाओं संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की सौगात तलाश दिलाती है लम्हों को अरमानों की समझ सुबह सुनाती है अल्फाजों को दिशाओं संग पहचान देकर जाती है।

किनारों को खयालों की कोशिश उमंग दिलाती है लहरों को नजारों की कहानी अरमान सुनाती है अल्फाजों को बदलावों संग पहचान देकर जाती है।

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