Thursday 2 November 2023

कविता. ४९७८. सपनों की सुबह अक्सर।

                              सपनों की सुबह अक्सर।

सपनों की सुबह अक्सर अरमानों को आस देकर जाती है नजारों को दिशाओं संग एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर अफसानों को राह देकर जाती है जज्बातों को अंदाजों संग कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर खयालों को आवाज देकर जाती है अदाओं को तरानों संग सरगम दिलाती है कदमों को उजालों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर आशाओं को सौगात देकर जाती है राहों को दास्तानों संग किनारा दिलाती है जज्बातों को नजारों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर नजारों को आहट देकर जाती है अल्फाजों को अदाओं संग अंदाज दिलाती है इरादों को उम्मीदों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर अंदाजों को सरगम देकर जाती है लहरों को नजारों संग आस दिलाती है दिशाओं को इशारों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर बदलावों को समझ देकर जाती है किनारों को अल्फाजों संग परख दिलाती है एहसासों को राहों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर लहरों को कोशिश देकर जाती है अफसानों को आशाओं संग तलाश दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर कदमों को आस देकर जाती है इरादों को अदाओं संग अहमियत दिलाती है उजालों को आशाओं की मुस्कान दिलाती है।

सपनों की सुबह अक्सर इरादों को रोशनी देकर जाती है जज्बातों को खयालों संग समझ दिलाती है लम्हों को तरानों की मुस्कान दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...