Sunday 7 May 2017

कविता. १३९७. जब किनारों से दिशाएं अलग।

                                          जब किनारों से दिशाएं अलग।
जब किनारों से दिशाएं अलग पुकार दिलाती है जो जीवन मे कई किस्सों को समझ दिखाकर जाती है जो जीवन मे किनारों से आगे बढते जाने कि उम्मीद हर बार कुदरत मे मिलती है जो जीवन मे कई दास्ताने चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग रोशनी दिलाती है जो जीवन मे कई दास्तानों को मकसद दिखाकर जाती है जो जीवन मे उजालों से आगे बढते जाने कि पुकार हर बार हवाओं मे मिलती है जो जीवन मे कई राहे चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग किनारे दिलाती है जो जीवन मे कई एहसासों को मतलब दिखाकर जाती है जो जीवन मे नावों से आगे बढते जाने कि उम्मीद हर बार दिलाती है जो जीवन मे कई कहानियों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग पहचान दिलाती है जो जीवन मे कई लफ्जों को मकसद दिखाकर जाती है जो जीवन मे बदलावों से आगे बढते जाने कि उम्मीद हर बार दिलाती है जो जीवन मे कई आशाओं को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग इशारे दिलाती है जो जीवन मे कई किनारों को मतलब दिखाकर जाती है जो जीवन मे कदमों से आगे बढते जाने कि जरुरत हर दिशा से दिलाती है जो जीवन मे कई इशारों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग रोशनी दिलाती है जो जीवन मे कई दास्तानों को मकसद दिखाकर जाती है जो जीवन मे पुकार से आगे बढते जाने कि जरुरत हर मौके से दिलाती है जो जीवन मे कई किनारों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग पुकार दिलाती है जो जीवन मे कई आशाओं को मतलब दिखाकर जाती है जो जीवन मे मकसद से आगे बढते जाने कि जरुरत हर उजाले से पुकार दिलाती है जो जीवन मे कई दास्तानों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग समझ दिलाती है जो जीवन मे कई किस्सों को पहचान दिखाकर जाती है जो जीवन मे मतलब से आगे बढते जाने कि जरुरत हर पुकार से सुबह दिलाती है जो जीवन मे कई इशारों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग एहसास दिलाती है जो जीवन मे कदमों को समझ दिखाकर जाती है जो जीवन मे मकसद से आगे बढते जाने कि जरुरत हर उजाले से पहचान दिलाती है जो जीवन मे कई दास्तानों को चुपके से सुनाती है।
जब किनारों से दिशाएं अलग सुबह दिलाती है जो जीवन मे इरादों को समझ दिखाकर जाती है जो जीवन मे उजाले से आगे बढते जाने कि जरुरत हर मौके से एहसास दिलाती है जो जीवन मे कई इशारों को चुपके से सुनाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५३. इशारों को अफसानों संग।

                             इशारों को अफसानों संग। इशारों को अफसानों संग आस तलाश दिलाती है लहरों की आवाज पुकार सुनाती है तरानों को उम्मीदों...