Saturday, 19 March 2016

कविता ५६९. दोस्त कि सलाह

                                                    दोस्त कि सलाह
आगे तो जाना है पर बिना हथियार नही जीवन को समझ लेना है पर बिना राह नही जब हतियार कि क्या जरुरत कलम ही काफी होती है
हमे हथियारों कि क्या जरुरत है जब कलम ही हमारे साथ देती है जो बात कहने से हो पाये उसके लिए हथियार कि जरुरत जीवन मे होती नही है
जब दुनिया को समझाने के मौके अभी बाकी है दुश्मन कि सलाह से हथियार उठाना सही नही होता है याद रखो वह दुश्मन है
पर जीवन मे अक्सर यही होता है जब दुश्मन हम पे चिल्लाता है और हमे अपने दोस्त कि आवाज सुनायी देती ही नही है
जो दोस्त हो वह तो अक्सर धीमे से ही कहना चाहता है सबसे सामने तो दुश्मन का चिल्लाना आता है जिसे सुनकर मन गलत राह पर जाता है
जीवन मे हर बार यही गलत राह हमारे जीवन कि राह बनकर आगे आती ही है क्योंकि दोस्त कि नही दुश्मन कि बाते हम सुन लेते है
और गलत राह को समझकर जीवन के अंदर ही हर दिशा आगे बढती है शायद हमारा रुकना सही होता है दोस्त को सुनना सही होता है
क्योंकि उस दोस्त कि बजह से ही तो हमारी खुशियाँ बनती है हमारी दुनिया बनती है तो दुश्मन कि चाल से बचकर दोस्त कि सुनना ही जीवन कि सही राह होती है
हथियार से भी ज्यादा हमारी कलम होती है पर उसे सही ओर ले जाने कि जरुरत होती है जो जीवन कि दिशाए बदलती है हमे सही सलाह कि जरुरत होती है
क्योंकि जब हमारी खुशियाँ मुश्किल मे होती है गुस्से कि आग मन मे जलती है उस पल सही दिशाओं को परख लेने के लिए दोस्त कि जरुरत होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५७०७. अरमानों की आहट अक्सर।

                       अरमानों की आहट अक्सर। अरमानों की आहट  अक्सर जज्बात दिलाती है लम्हों को एहसासों की पुकार सरगम सुनाती है तरानों को अफसा...