Thursday, 10 March 2016

कविता ५५०. आवाज कि पेहचान

                                               आवाज कि पेहचान
आवाज को पेहचान लेते है तो दुनिया मे बस नया साज सुनने को हर बार मिलता है जिसमे जीवन को समझ लेने का मकसद उस आवाज से ही मिलता है
आवाज को परख लेने कि कहानी जीवन को नया एहसास दे जाती है आवाज मे ही जीवन कि कहानी हर बार बनती और बिघड जाती है
हर धून मे जीवन कि आवाज जब जीवन को समझ लेने मे ही खुशियों कि सौगाद देती है जीवन मे नई धून हर मोड पर मिलती है
आवाज को समझ लेने मे ही कभी कभी दुनिया भर कि खुशियाँ मिलती है आवाज के अंदर जीवन को मतलब देने कि ताकद होती है
कभी कभी वही आवाज दुनिया को चोट दे जाती है कोई आवाज जो गलत नजर आती है हमारी दुनिया हर पल बदलती नजर आती है
आवाज को समझ लेना ही तो जीवन कि जरुरत होती है पर अगर वही गलत हो तो दुनिया बिघड जाती है गलत ओर चली जाती है
जीवन मे आवाज को मतलब दे जाने कि ही दुनिया को जरुरत होती है जो हमे सही दिशाए हर बार देकर आगे बढती चली जाती है
जीवन कि राह सीधी नही होती जब वह कोई मतलब खयाल दे जाती है आवाज के अंदर कि ताकद ही तो दुनिया का एहसास होती है
पर उसे चुनना बडी मुश्किल बात होती है जो जीवन कि कहानी को अलग मोड हर बार देकर आगे बढती चली जाती है जब मुस्कान को पाने कि चाहत होती है
जीवन मे मुस्कुरा लेने कि जरुरत कुछ ज्यादा ही होती है आवाज से ही तो हमारी दुनिया अलग दिशा लेती है उसे समझ लेने कि जरुरत होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५४६७. राहों को अरमानों की।

                            राहों को अरमानों की। राहों को अरमानों की सोच इशारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की पहचान तराना सुनाती है जज्बातो...