Thursday 24 March 2016

कविता ५७९. पडदे के पीछे

                                                    पडदे के पीछे
पडदों के पीछे कई बार कोई खयाल तो छुपा होता ही है जिसे परख लेने से जीवन मे दुवाए कई बार मिलती है पर हर पडदे के पार कोई ना कोई बात छुपी रहती है
जाने क्यूँ सीधी राह पर भी कोई पडदा होता ही है क्योंकि अक्सर जीवन कि राह जितनी आसान हमे लगती है उस से मुश्किल उस राह से गुजरना होता है
पडदे जो जीवन मे अलग अलग रंग दे जाते है उनमे जीवन का एहसास छुपा होता है पर उनके बाहर आने का वक्त भी अलग अलग लिखा होता है
पडदों मे छुपी दास्तान का हिस्सा चुपके से जीवन बदल देता है उस दास्तान मे ही जीवन का मतलब और अलग किस्सा छुपा रहता है
पडदे तो जीवन को मतलब दे जाते है उन पडदों के पार जीवन छुपा होता है उस जीवन को समझ लेना बडा आसान अक्सर दिखता है
पडदा हर बार राज छुपा लेता है उसे समझ लेना जरुरी होता है पडदों के पीछे छुपी बातों को मतलब हर बार जीवन देता ही है
पडदे तो जाने क्यूँ जीवन को समझ लेते है उन पडदों के पार जीवन का किस्सा छुपा होता है जो हमे अक्सर रोशनी देकर जाता है
पडदों को परख लेना जीवन मे मतलब दे कर जाता है पडदों के पार रखे हुए राज को समझ लेना हर मोड पर उम्मीदे देकर जाता है
जीवन के अंदर हर सोच मे कई पडदों का एहसास छुपा है जो जीवन मे रोशनी दे कर जाता है पडदों के पीछे ही जीवन छुपा होता है
पडदा ही जीवन को वह ताकद देता है जिसमे जीवन का हर एक रंग हमे दिखता है जो  अलग एहसास और रोशनी देकर जाता है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४५. आवाज कोई सपनों संग।

                           आवाज कोई सपनों संग। आवाज कोई सपनों संग खयाल सुनाती है कदमों को उजालों की पहचान पुकार दिलाती है उम्मीदों को किनारो...