Friday 18 March 2016

कविता ५६६. भूलाने कि कोशिश

                                            भूलाने कि कोशिश
हर शुरुआत हमे नया एहसास देती है हमे पुरानी बातों कि याद नही रहती है बदले कि आग से दूर रहना ही हमारी आज तक कि राह रही है
पर कभी कभी कुछ बाते जीवन को बदल देती है जब किसी को फिर से आपका शिकार बनते यह नजर देख लेती है
शिकार तो हमे भी अच्छेसे समझ आती है अगर आप फिर से शिकार को निकले तो जीवन कि शिकार करने कि चाहत जिन्दा होती है
जीवन को मतलब तो अलग हर बार मिलते है जब जिन्दगी अपने आपको दोहराती दिखती है जो जीवन को नया मतलब दे जाती है
कई बाते तो भूल जाने लायक ही होती है पर जब गलती दोहराई जाती है तो वह जिन्दगी मे जुर्म बनकर हर बार नजर आती है
जीवन कि बाते तो समझ लेना बडी जरुरत होती है उनके अंदर ही जीवन कि खुशियाँ हर बार होती है जो आगे ले जाती है
जीवन मे ही तो आगे जाने ही कि जरुरत होती है जो हर बार अहम होती है जिनमे जीवन कि खुशियाँ छुपी होती है पर कोई फिर से पिछली बात दोहराये तो उम्मीदे मिलती है
जीवन कि गाडी आगे बढती है पर तभी जब उसे आगे ले जाने कि चाहत होती है जीवन मे जो अलग अलग रंग हर बार दिखाती है
जो बाते जीवन मे आगे ले जाती है उन्हे समझ लेने कि हर बार जरुरत होती है क्योंकि उन्हे समझकर आगे बढने कि जरुरत होती है
हर किनारे के साथ हमे आगे बढने कि उम्मीदे होती है पर कोई पीछे ले जाये तो उनकी गलती भी हमे याद होती है बस उसे भूलाने कि कोशिश होती है
कभी वह पूरी होती है कभी अधूरी रहती है पर दिल चाहता कोई वह याद ना दिलाये उसमे नफरत हर बार जिन्दा रहती है

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