Monday, 14 March 2016

कविता ५५८. मौके पर अनसुनी आवाज

                                                मौके पर अनसुनी आवाज
किसी मौके पर किसी आवाज ने हमसे कुछ कहा था हमने अनदेखा कर दिया उस पल से इस पल पर उस आवाज को सुनना जरुरी लगता है
जिस मौके पर जीवन मे अलग एहसास सुनना है उस पल जीवन कि धारा को उस मोड पर ही तो चुनना है जीवन के अंदाज को उस पल ही सुनना था
जीवन को परख लेते है तो जीवन को अंदाज जुदा होते है जीवन को हर पल वही अलग साँस दे जाते है एहसास दे कर आगे बढ जाते है
जीवन को मतलब तो हर बार मिलता है जिसे समझकर जीवन को जिन्दा रखना हमे एहसास देता है जो हमे हर पल रोशनी दे जाता है
जो हमे जीवन को मतलब तो हर पल आगे ले जाता है पर जीवन कि बाते कभी कभी अनदेखी रह जाती है दिशाए बदल देती है
हर मौके मे ही अलग अलग एहसास होते है जो हमे आगे ले जाते है पर कभी वही एहसास हमे समझ नही आते है वही ताकद दे जाते है
मौके के अंदर ही तरह तरह के मतलब छुपे होते है जो जीवन मे नया मकसद दे जाते है पर कभी कभी कुछ मकसद देर से समझ आते है पर वह बात बूरी नही होती है
बातों मे ही तो दुनिया कि सच्ची ताकद होती है पर कभी कभी वह बात उस वक्त समझ नही आती है गलत समझकर जिन्दगी निकल जाती है
पर जो वक्त पर उसे फिर से समझ जाता है उस मे ही जीवन कि सही ताकद होती है जो हमे रोशनी दे जाती है खुशियाँ देकर आगे ले जाती है
क्योंकि वही तो जीवन को मतलब दे जाती है कभी कभी गलती से भूल जाये तो भी वह जिन्दगी अहम हर बार होती है
उसे जो वक्त रहते ही सुन लेता है उसकी दुनिया रोशन होती है जो जीवन को मतलब और मकसद देकर आगे लेकर जाती है

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