Wednesday 30 March 2016

कविता ५९१. किसी खयाल को समझकर

                                              किसी खयाल को समझकर
जब किसी खयाल को समझकर आगे बढने कि चाहत उम्मीदे देकर जाती है जीवन को मतलब दे जाती दिशाए बदलकर आगे बढती जाती है
हर खयाल को समझकर जीवन कि कहानी अलग दिशा बदल कर आगे जाती है नई शुरुआत दे कर आगे चली आती है जो बदल जाती है
खयालों को मतलब देकर परख कर जीवन कि कहानी नया एहसास देकर जाती है खयाल मे ही तो जीवन कि ताकद मुठ्ठी कि तरह हर बार नजर आती है
जिस खयाल को परख कर आगे बढने कि जरुरत होती है उस खयाल मे ही दुनिया कि हकीकत छुपी होती है खयाल को समझ लेने कि कोशिश हर मोड पर होती है
खयालों के अंदर ही दुनिया कि हकीकत छुपी होती है खयाल को समझ लेने कि दुनिया मे हर बार जरुरत होती है जो हर खयाल को मतलब देने कि अहम जरुरत होती है
खयालों से ही तो दुनिया कि हकीकत बनती है हर खयाल मे ही तो रोशनी कि पेहचान बसती है पर कभी कभी किसी खयाल से मन कि दिशाए बदलती है
तभी सवाल यही आता है कि जीवन मे दुनिया को बदल जाने कि जरुरत होती है या उस से ही जीवन कि मुसीबत बढती है जो आगे लेके जाती है
खयाल को समझकर जीवन कि कहानी दिलचस्प बनती है खयाल के साथ जीवन मे नई उम्मीदे हर बार बनती और बिघड जाती है
खयालों को परख कर ही तो दुनिया आगे बढती है पर कभी कभी दिल चाहता है कि किसी खयाल को बिना समझे ही किस्मत बदल जाये पर दुनिया ऐसे कहाँ आगे चलती है
खयाल कि धारा ही जीवन को मतलब दे जाती है खयाल को समझकर आगे बढने कि जरुरत हर बार होती है क्योंकि हम समझे या ना समझे पर खयालों से ही दुनिया बनती है

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