Sunday 13 March 2016

कविता ५५७. किसी और कि कहानी

                                                 किसी और कि कहानी                                      
कितनी बाते होती है जिन्हे समझ तो लेना चाहते है कितने मामलों को हम परख तो लेना चाहते है पर हर यह बात मुमकिन नही होती है हर बार जीवन कि हर कहानी हमारी अपनी नही होती है
ऐसी कहानी को बेहतर है के अंदर हर जीवन मे वही छोड दे क्योंकि ऐसी कहानी जीवन का हिस्सा नही होती है जिसे समझ लेने कि जरुरत नही होती है
क्योंकि हर कहानी को समझ लेने कि जरुरत हर बार जीवन को मतलब दे जाती है जिसे परख लेने कि अहमियत हर बार जीवन मे होती है
कहानी तो हर बार अलग अलग मोड से बनती है उस कहानी को समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर किनारे मे हर मोड पर जरुर होती है
पर जब कोई कहानी हमारी नही होती तो वह हमे अंदर जाकर जीवन को बदल देने का हक्क कभी नही देती है वह जीवन मे हमे चुप रहने कि सलाह हर बार देती है
जिसे हम समझ लेने कि आदत हमे तो है पर हर बार उसे परख कर सही करने कि जरुरत हमे नही होती है क्योंकि वह कहानी हमारी नही होती है
कहानी मे हर बार कई मोड तो आ जाते है पर वह कहानी जीवन कि निशानी सही नही कर पाती है क्योंकि वह कहानी तो किसी ओर को सुननी और सुनानी है
जीवन कि हर धारा को समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर हमे तो होती है पर फिर भी जीवन कि कहानी सीधी नही बन पाती है आसान नही होती है
कहानी के हर मोड को समझ लेने कि जीवन मे चाहत जरुर होती है पर फिर भी उस कहानी कि दिशाए हमारी समजझमे नही आती है सही मोड नही देती है
कुछ बाते हम कह दे पर फिर भी दूसरे कि आवाज समझ लेने कि जरुरत हर बार हमे होती है पर हर कहानी को हमारी जरुरत नही होती है तो उसे क्या सही बताए जिसे हमे सुनने कि चाहत नही है

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