Saturday, 19 March 2016

कविता ५६८. दूसरों कि अहम बात

                                              दूसरों कि अहम बात
कहनी तो कई बाते जीवन मे होती है जिन्हे समझ लेने पर दुनिया कई बार सही दिशाओं मे मुडती है पर लोग कहाँ वह बाते सुन पाते है जीवन मे कई किनारे होते है
बातों को कहने कि जीवन मे जरुरत तो होती ही है पर कई बार किसी कि जिद्द कि बजह से ही जीवन मे वह बाते कह देनी होती है
जीवन कि धारा मे कई कश्तीयाँ बहती रहती है उन्हे समझ लेने कि जरुरत जीवन को हर मोड पर होती ही है पर कभी कभी ऐसा भी होता है
बिना मतलब कि कोई बात जीवन दोहराता है पर कई बार कही बाते भी समझ लेने कि जरुरत जीवन मे हर मोड पर अक्सर होती ही है
जीवन मे हर बात जो दूसरे के लिए अहम हो वह हमारे लिए अहम नही होती है पर कभी कभी इन्साफ के खातिर वह बात हमे कहनी होती है
हम कई बाते कहते तो है पर कई बार दूसरे अहम बात हमारे लिए जरुरी होती नही है उस बात को समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर होती ही है
बातों को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती नही है कभी कभी बात इन्साफ कि होती है यही सोच जीवन के लिए काफी होती है
बात के कई मतलब होते है उन्हे समझ लेने कि जरुरत जीवन के अंदर होती ही है इसलिए ही तो जीवन कि कहानी मतलब पा जाती है
जीवन कि हर बात के अंदर नई सोच होती ही है जो जीवन को अलग सोच आगे ले जाती है क्योंकि जीवन मे हर पल आगे जाने कि जरुरत होती ही है
वह सोच तो हमे बस तब मिलती है जब दूसरों कि जरुरत हो वही सोच हमे मिलती है जो जीवन का हिस्सा बन जाती है जीवन को ताकद देती है

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