Monday 21 March 2016

कविता ५७३. पानी और जीवन

                                         पानी और जीवन
पानी के एहसास को समझ लेने से ही तो जीवन को मकसद मिलता है जीवन को समझ लेना हर बार जरुरी होता है क्योंकि जीवन पानी जैसा हर बार जरुरी होता है
जैसे हम पानी को पकड नही सकते जीवन को पकड लेना भी मुश्किल होता है जीवन के हर धारा को उंगलीओं से बह जाना आता है जीवन को वह नई साँसे दे जाता है
बहना ही तो पानी कि फिदरत होती है पर पानी मे ही तो जीवन रहता है बिना पानी का हर एक दिन बडे मुश्किल से गुजर पाता है
कितनी अचरज कि बात है उसी समुंदर का पानी हमे बादल तो दे जाता है पर उसी वक्त पीने के लिए वह बिना काम का नजर आता है
उसी तरह किसीके लिए किसीका जीवन बोझ नजर आता है पर समुंदर कि हर जीवन अहम हर बार हर छोर पर नजर आता है
पानी तो अलग एहसास तो जीवन मे दे जाता है पानी को अलग अलग मतलब दे जाता है जिसे परख कर आगे जाना जरुरी नजर आता है
पानी मे तो हर पल अलग एहसास है जो जीवन को समझ दे जाये वही छुपा होता है जो हमे समझाए वही सोच को मतलब जीवन हर बार देता है
पानी को पकड नही पाते है उसी तरह जीवन को पकड लेना बडा मुश्किल होता है जीवन तो उँगलियों के बीच से चुपके से निकल जाता है
जीवन को पानी कि तरह समझ लेना ही तो जीवन को मतलब दे जाता है जीवन को रोशनी कि ताकद वही हर बार दे कर जाता है
क्योंकि जीवन कि कहानी भी तो चुपके से जीवन मे हाथों से छुपके से फिसल जाती है जीवन पर अलग असर हर बार हर मोड पर करके ही जाती है

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