Wednesday 2 March 2016

कविता ५३२. कोई परछाई

                                              कोई परछाई
किसी परछाई से हर बार मुश्किल हो जाती है तो किसी परछाई से जीवन कि नई शुरुआत होती है परछाई चाहे कुछ भी कहे वह मायने तो रखती ही है
परछाई मे ही जीवन कि कहानी बसती है जो जीवन को हर बार मतलब दे कर आगे बढती है जीवन को समझ लेने के लिए परछाई को समझ लेने कि भी जरुरत होती है
परछाई ही तो जीवन को सही एहसास दे जाती है क्योंकि परछाई ही तो हर पल को चुपके से मतलब दे जाती है जीवन को बदल जाती है
परछाई को परख लेने से ही तो जीवन कि खुशियाँ बन पाती है पर सब कहते है परछाई बस परछाई ही होती है तो फिर वह क्यूँ जीवन को मतलब दे जाती है
शायद जब हम मन से चाहे तो ही परछाई जीवन को मतलब दे जाती है क्योंकि तभी तो वह हकीकत बन पाती है जीवन पर असर कर जाती है
हर परछाई जीवन कि एक जरुरत बन जाती है क्योंकि परछाई ही तो हमे जीवन दे जाती है हमारे साँसों मे उसकी दुनिया रहती है
अगर हम मन से चाहे तो परछाई भी जिन्दा हो सकती है मन मे वह ताकद होती है जो परछाई को भी जिन्दा कर जाती है
क्योंकि परछाई ही तो जीवन कि राह बन जाती है जो जीवन को आगे लेकर चलती है परछाई ही जीवन कि जरुरत बन जाती है
हर बार परछाई को समझ लेने कि दुनिया को जरुरत होती है जो हमे हर बार मतलब दे जाती है परछाई ही तो जीवन को मतलब दे जाती है
परछाई मे ही तो अपनी दुनिया जिन्दा रहती है जो हमे हर बार आगे ले जाती है हमे जीवन मे परछाई को समझ लेने कि जरुरत होती है क्योंकि परछाई ही तो हमे आगे ले चलती है

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