Monday, 29 February 2016

कविता ५३१. छोटीसी उम्मीद जीवन कि

                                    छोटीसी उम्मीद जीवन कि
हर राह रोशनी कि हमे आगे ले जाती है पर कभी कभी रोशनी कि छोटीसी किरन भी जीवन मे काफी नजर आती है
रोशनी का एहसास हर बार हमे आगे ले जाता है जो हमे साँसे दे जाता है जीवन कि छोटीसी खुशी भी जीवन को खुशहाल बना जाती है
छोटीसी उम्मीद ही जीवन को मतलब दे जाती है जो जीवन कि आजादी का मकसद हर बार दे जाता है हमे आगे ले जाता है
जीवन कि हर उम्मीद को समझ लेना ही तो जीवन का मकसद होता है जो हमे हर पल जिन्दगी दे जाता है वही जीवन कि जरुरत होता है
छोटीसी उम्मीद भी जीवन मे काफी होती है जीवन कि हर बाजी को हर बार दुनिया कहाँ समझ पाती है कोई बाजी जीवन को अलग एहसास दे जाती है
हर शुरुआत जो हमे आगे ले जाती है जो जीवन कि धारा को कब तक समझ पाती है जो हमे छोटीसी उम्मीद कि जगह दे जाती है
एक किनारे मे ही जीवन कि शुरुआत हर बार होती है छोटेसे किनारे से ही तो उम्मीदों कि नई शुरुआत होती है जो जरुरत होती है
हर कोने मे कुछ एहसास तो छुपा होता है जो उम्मीदों का कारवे से भी बढकर होता है किसी कोने मे ही तो जीवन को जिन्दा कर जाता है
किसी छोटेसे किनारे से ही जो जीवन कि कश्ती बनती है जिसमे दुनिया जिन्दा रहती है उस उम्मीद को परख लेते है तो ही दुनिया बनती है
हर किनारे मे जिन्दगी तो जीवन कि शुरुआत रहती है छोटेसे किनारे से ही जीवन कि कहानी बनती है जो हमे आगे ले जाती है
छोटीसी शुरुआत से ही तो दुनिया बन पाती है उसी शुरुआत को समझकर आगे बढने कि जीवन को समझ लेने कि जरुरत होती है उस से दुनिया और खुशियाँ मिलती है

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