Tuesday 23 February 2016

कविता ५१८. पल का दरवाजा

                                        पल का दरवाजा
हर बार हर पल जीवन मे कुछ अलगसा होता रहता है पलों को समझ लेने कि जीवन मे जरुरत हर बार होती है
जिस पल मे सोच आगे जाती है उम्मीदे मिल जाती है उसी पल के अंदर दुनिया बदलसी जाती है उस पल को समझ लेने कि जरुरत होती है
पल को परख लेने कि चाहत मन मे खुशियाँ देती है पल मे भी कभी कभी कोई बात छुपी हुई होती है जो उम्मीदों कि कश्ती बनती है
पल से पल अगर जुड जाए तो जीवन कि सोच हमे आगे ले जाती है पलों को समझ लेने कि दुनिया को हर बार जरुरत होती है
पल वह दरवाजा है जिसे समझ लेने कि जरुरत होती है क्योंकि वही मन कि चाहत होती है जो हमे उम्मीदे दे जाती है
पल के अंदर दुनिया को समझ लेने कि कहानी हर बार जीवन को उम्मीदे दे जाती है पल बदलते रहते है उनके अंदर ही जीवन कि जरुरत होती है
पल मे ही दुनिया को समझ लेने कि हर मोड पर अलग एहसास तो जीवन पर अहम जरुरत हर बार तो होती ही रहती है
पल के अंदर जीवन कि कहानी हर बार हमे आगे ले जाती है उस पल से ही जीवन कि शुरुआत होती है हर पल मे वह बात नही होती है
उस पल मे जिसमे हमारी उम्मीदे होती है उसी पल से जीवन कि शुरुआत होती है जो जीवन को आगे ले जाती है मतलब देके जाती है
जीवन को पलों के अंदर समझ लेना ही हर बार हमारी जरुरत होती है जो हर पल को समझ और उम्मीदे दे जाती है क्योंकि उस पल मे ही जिन्दगी होती है

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