Sunday, 28 February 2016

कविता ५२८. जीवन कि बाते

                                          जीवन कि बाते
काश के जीवन कि बाते प्यारी हो जाती है पर ऐसा नही होता है जीवन कि हर बात प्यारी नही नजर आती है वह सही असर नही कर पाती है
कभी बात सही होती है पर कभी बात बदल जाती है हर बात के अंदर जीवन का एहसास वह अलग बनाती है रोशनी दे जाती है तो कभी अँधेरे कि बजह बन जाती है
काश के जीवन का हर एहसास वह बात समझ लेती वह जीवन कि हर मोड पर दिशाए बदल देती हमारी दुनिया बदल पाती ऐसी भी जीवन कि एक सोच होती है
पर जरुरी नही है के जीवन मे हर बात बदल जाए जीवन को दिया हुआ एहसास बदल जाये जीवन को समझ लेने कि बात आसान नही होती है
काश कि जीवन कि हर कहानी आसानी से समझ आती पर ऐसा कहाँ होता है क्योंकि जीवन कि हर बाजी सीधी नही होती है
जीवन को खेल समझ के जी लेने पर जीवन कि हर राह सही नही दिख पाती है जीवन को परख लेने कि जरुरत तो होती है पर जीवन कि हर बात आसान नही होती है
काश हम आसानी से उस दास्तान को समझ लेते जो चाहे जितनी भी मुश्किल हो उसे आसानी से हम हर मोड पर परख लेते है
हम जीवन कि धारा को अपने दम पर समझ लेना चाहते है जीवन कि हर एक सुबह मे अपनी दुनिया बना लेना चाहते है
मुश्किल सफर पर भी कोई खयाल हम रख देते है जिसे हम जीवन मे कई बार यही सोचते है कि काश उसे आसानी से हम समझ पाते है
पर सिर्फ काश से बात नही बनती है दुनिया को हर अलग कहानी मे हम समझ लेना चाहते है जीवन को खुशियों भरा तोहफा बना कर उसे जीना हर पल चाहते है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५४६७. राहों को अरमानों की।

                            राहों को अरमानों की। राहों को अरमानों की सोच इशारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की पहचान तराना सुनाती है जज्बातो...