Thursday 18 February 2016

कविता ५०९. हर कदम को समझ लेना

                                                        हर कदम को समझ लेना
हर कदम कुछ तो पता चलता है कदम में ही तो जीवन बनता है पर हर कदम में हम कहाँ  जीवन को समझ पाते है जो हमे शुरुआत देता है
कदम ही तो जीवन को अलग एहसास देता है उम्मीद हर बार दे जाता है हमे साँसे और जीवन का एहसास देता है जीवन को अलग विश्वास देता है
कदम ही तो जीवन हर बार बनाता है पर हर बार हमे कदम कहाँ समझ आता है कदम कई बार बिना मतलब का ही कोई अन्जाम होता है
जो जीवन को रोशनी हर बार दे जाता है कदम को परख लेना जरुरी होता है कदम के अंदर ही नई शुरुआत जीवन हर बार हर मोड़ पे देता है
कदमों के अंदर ही जीवन जिन्दा रहता है कदम को समझ ले तो ही जीवन का अन्जाम समझ आता है जीवन का नया एहसास हमे रोशनी दे जाता है
हर कदम हमने जीवन को कुछ अलग तरह का एहसास छुपा होता है जिसे समझ लेना हर बार जरुरी होता है जो रोशनी की सौगाद हर बार होता है
कदमों को समझ लेना बहुत गलत एहसास होता है जिन्हे परख लेना जरुरी होता है जो जीवन को रोशनी हर बार हर मोड़ पे देता रहता है
कदम को समझ ले तो जीवन में सोच को नया एहसास मिलता है जीवन को समझ लेना जरुरी होता है क्योंकि जीवन ही तो हमे आगे ले जाता है
जीवन तो बस कदमों से ही बनता है जिसे समझ लेना ही जीवन को मतलब दे जाता है जीवन को नई रोशनी और नया एहसास दे जाता है
कदम ही तो हमे आगे ले जाते है उन्ही कदमों के संग ही तो जीवन का एहसास हर बार बनता है जो हमे जीवन मे हर कदम पर ले जाता है 

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