Monday, 22 February 2016

कविता ५१७. संगीत मे कही बात

                                                 संगीत मे कही बात
हर बार जब कुछ अजीब सी बात होती है जाने क्यूँ आप से कहने कि एक चाहत होती है जो बात जीवन को अलग किनारों से ले जाती है
वह बात सुनने कि चाहत हम जीवन मे रखते है पर हम कितना भी चाहे लोग कहाँ उसे समझ पाते है जीवन कि कहानी वह कहाँ हम से सुनना चाहते है
पर जब वही बात पंक्ती मे प्यारी लगती है लोगों के मन को हर बार छू जाती है क्योंकि वही बात तो मन को साँसे दे जाती है बात से ज्यादा प्यारे गीत के लब्ज होते है
बातों से तो किसी के मन को कहाँ तसल्ली मिल पाती है पर वही बात संगीत मे हो तो जीवन को मतलब दे जाती है जीवन कि धारा बदल देती है
बात जाने क्यूँ मन को नही बहला पाती है जो बात हमारी समझ मे ही नही आती है वह संगीत मे घुलमिल कर जीवन कि कहानी आगे बढती जाती है
हर राग के अंदर एहसास नये नये दे जाती है संगीत के सूर मे ही जीवन कि कहानी बनती जाती है जीवन को साँसे दे जाती है
संगीत के अंदर यादे तो बडी प्यारी नजर आती है जिन्हे समझ लेने से जीवन कि कहानी हर मोड पर बदलती चली जाती है
सोच को अगर हम मुँह से समझ लेते है तो जीवन को मतलब दे जाती है संगीत के हर धून के साथ दुनिया बदल जाती है बाते लोगों को आसानी से समझ आती है
जो बात कान को सक्त लगे वह भी प्यारी नजर आती है जीवन कि धारा मे मिलकर संगीत नया दे जाती है जीवन को हर बार आगे ले जाती है
संगीत के नये एहसास मे हर बार नया सूर जगा कर हर बात को प्यारी और मधुर बन जाती है जो जीवन मे नये खुशियों का एहसास बार बार लाती है
वह बात संगीत के हर रस मे मिलकर खुशियों कि सौगाद बन जाती है हमारे जीवन को हर बार नया मतलब दे जाती है



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