Tuesday 9 February 2016

कविता ४९१. कोहरे के पार का जीवन

                                                            कोहरे के पार का जीवन
पर्वत के ऊपर चलने से जीवन को अलग एहसास तो हर बार होता है हवाओं की ठंडक से जीवन को मतलब अलग मिल पाता है उसे परख लेना आसान नजर आता है
हवाओं को प्यारा एहसास जो जीवन को बदलता जाता है उस हवा के स्पर्श से हर बार जीवन में मौका बन पाता है जिसे परख लेना जीवन को मतलब देता है
हवाओं का मतलब हमे एहसास तो दे पाता है पर कभी हवाओं के पार देखना भी मुश्किल होता है वह एहसास ही जीवन को हर बार अलग सोच दे जाता है
पर्वत के अंदर जीवन का मतलब हर बार बदल जाता है उसे समझ लेना ही जीवन को एहसास हर मोड़ को नई बात दे जाता है तो जीवन में नई सोच देता है
जब जब जीवन को समझकर मतलब परखना हो तो हर बार वह बड़े काम आती है जीवन की सोच जो हमे अलग दिशा दे जाती है हमे समझा लेती है
हर बार जीवन को परख लेना मुमकिन बनाती है जब हवाए हमे जीना सीखाती है तब वह जीवन का अलग एहसास बताती है जो हमे छू लेता है और नई सुबह आती है
अलग जीवन में हर बार हम समझे तो ही जीवन की कहानी आगे बढ़ती जाती है जीवन के हर मोड़ पर कोई सोच जो हम समझ लेते है तो नई शुरुआत तो दिखती है
पर कभी कभी हवाए कुछ इस कदर भी होती है की जीवन में आगे की बाते नजर कहाँ आती है छुप जाती है वह उसे कोहरे के पार दुनिया नजर नहीं आती है
पर डरना क्या दोस्तों कई बार उसके पार मंज़िल भी होती है पर कभी कभी डर इतना लगता है की जीवन की धारा बदलसी जाती है
दुनिया को क्या समझा ले हम जब दुनिया को समझ लेना ही दुनिया की जरूरत होती है क्योंकि  फिर भी अगर हम उसे ना समझ पाये तो दुनिया में आगे जाने की जरूरत होती है
क्योंकि कोहरे के पार ही जीवन की सुबह होती है कोहरे के पार देख लेना ही हर बार जीवन की जरूरत होती है जो जीवन को उम्मीदे देती है 

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