Tuesday 23 February 2016

कविता ५१९. हर धारा

                                                 हर धारा
जीवन कि हर धारा आगे बढने कि उम्मीदे और किनारों से ही जीवन कि हर सुबह बनती है जो हमे आगे ले जाती है जीवन को किनारे देती है
जीवन मे ही तो हर धारा को मतलब तो हर मोड पर दे जाती है धारा ही तो जीवन को साँसे ले जाती है जीवन को हर राह पर आगे ले जाती है
धारा ही जीवन को आगे ले चलती है हमे उम्मीदे दे जाती है जीवन को धारा ही एहसास से भर देती है साँसे दे जाती है
धारा ही जीवन को मतलब दे कर आगे जाती है जीवन मे हर मोड पर उसे आगे ले जाती है धारा को समझ लेना जीवन कि जरुरत होती है
हर धारा मे ही अलग खयालों कि सोच हर बार जिन्दा हो जाती है जीवन उन धाराओं के संग ही आगे बढता जाता है साँसे दे जाता है
हर धारा मे ही हमारी दुनिया रहती है जो हमे उम्मीदे दे जाती है क्योंकि वही तो अक्सर जीवन को बनाती रहती है
धारा मे ही जीवन कि कहानी छुपी होती है जो जीवन को आगे ले जाती है धारा ही तो जीवन कि ताकद हर बार बन के आगे बढती है
धारा को समझ लेना ही तो जीवन कि कहानी हर बार जरुरत होती है जो जीवन कि जरुरत हर बार होती है जो उम्मीदों कि सौगाद देती है
हर धारा मे ही कहानी आगे बढती है उस धारा को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है क्योंकि धारा ही तो हमे आगे ले जाती है
हर जीवन कि धारा ही तो जीवन का मतलब होती है जो हमे आगे ले कर जाती है और हमारी जरुरत हर बार होती है उम्मीदे देती है

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