Tuesday 9 February 2016

कविता ४९०. कोई आहट जीवन की

                                                          कोई आहट जीवन की 
जब जब कोई आहट हम जीवन में सुनते है उस आहट के अंदर एहसास तो जीवन को देते है कोई जो आवाज जिसे हम खुद से समझ लेते है
आहट के साथ दुनिया को अलग एहसास हम देते रहते है उस एहसास को समझकर हम आगे बढ़ते है आहट तो हमे हर बार कुछ ना कुछ समझा देती है 
उस आहट को समझकर दुनिया पर कोई तो असर हो जाता है जिसे परख लेने से दुनिया को चीजों का अन्दाजा होता है आवाज को समझकर ही तो एहसास होता है 
आहट में समझ लेना जीवन को एहसास अलगसा देता है क्योंकि आहट में ही सोच अलग मिल पाती है आहट को परख लेना जरुरी होता है 
उसे समझ लेना आहट में अलग एहसास देता है आहट से ही तो हर पल चीजे आगे बढ़ पाती है पर जीवन में हर बार आहट कहाँ समझ में आती है 
आहट तो वह एहसास है जिसमे दुनिया अलग रंग दिख लाती है आहट को समझ ले तो ही दुनिया नई कहानी बताती है आहट में ही तो दुनिया की समझ  आती है 
आहट के साथ जीवन की नई दास्तान बन जाती है जिसे परख लेने से आगे जानेवाली दुनिया हमें अलग सोच दे पाती है जीवन में आहट से ही दुनिया बन पाती है 
हर मोड़ में जीवन को आहट हमे बताती है दुनिया बन जाती  है एक आहट से जब आहट सही चीज की होती है पर अक्सर यह होता है की हम समझ लेते है 
आहट गलत चीज की है और फिर आहट गुम हो जाती है क्योंकि आहट तो दो पल की दास्तान है जो कहानी की तरह कहाँ पढ़ी जाती है 
कहानी तो वह होती है जिसे समझकर फुरसत में हम पढ़ पाते है पर आहट तो वह सोच है जिसमे जीवन की कहानी बन जाती है पर हम अगर उसे उस पल ना पकड़े तो वह जीवन से निकल जाती है 

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