Tuesday, 16 February 2016

कविता ५०४. सोने कि सुंदरता

                                                    सोने कि सुंदरता
जब जब राहों पर कुछ अलगसा हो जाता है जीवन पथ पर जीवन कुछ अलगसा एहसास दिखाता है जो समझ लेना जीवन को उम्मीदे दे जाता है
जीवन पथ के अंगारों का डर मन से दूर भगाता है जीवन कि पथ के राहों पर जो रात दिन दिपक जलाता है वह तूफानों का कारवा जीवन मे अलग एहसास दिलाता है
जिसे परख लेते है तो जीवन को मतलब देना अहम नजर आता है राहे जो चोट दिलाती है उनसे वह दूर रख कर आगे चलते जाता है
राह पर अंगारों से लढने कि कुछ ऐसी ताकद दे जाता है कि राह भटक जाने का डर हमे अक्सर भाता है आशाए दे जाता है
राहों पर कई अंगारों का कारवा हमे नजर आता है जिनमे जीवन हर बार हमे उम्मीदों के किनारे दिखता है जो एहसास दिलाता है नई राह दिखाता है
बिना अंगारों के जीवन पथ का समझ लेना बडा मुश्किल नजर आता है जीवन कि हर राह पर वह हमे आगे जाने का विश्वास दे जाता है
जीवन को समझ लेना राह दिखाता है जीवन को तरह तरह के एहसास मे अंगारों  का एहसास तो वह एहसास है जो चोट तो देता है पर जरुरी होता है
चोट तो जीवन मे हर बार लगती रहती है उनके अंदर ही जीवन हर बार साँसे ले पाता है जीवन कि कहानी को समजना उन अंगारों से ही हो पाता है
जीवन मे अंगारों से जलकर ही तो आगे बढा जाता है पथ पर चलकर आगे जाना ही जीवन मे सही राह बताता है उम्मीदे दे जाता है
जीवन मे अंगारों पर चलने से ही जीवन को नया रंग मिल जाता है अंगारों के कुछ निशान तो पडते है मन पर लेकिन तपकर ही तो सोना सुंदरता पाता है

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