Thursday 25 February 2016

कविता ५२२. बातों के अंदर का एहसास

                                              बातों के अंदर का एहसास
बातों के अंदर के एहसास अलग होते है जिन्हे परख लेने कि जरुरत हम हर बार मेहसूस करते है बातों को समझ लेने के जस्बात अलग होते है
पर किसी अनजानी बात मे ही हम जीवन कि खुशियों को ढूँढते है जिन्हे समझ लेना तो हम हर बार चाहते है जिनमे हम अपनी दुनिया समझ लेते है
बातों को ही समझ लेने मे दुनिया के कई किनारे बदलते है बातों के अंदर ही जीवन के सहारे दिखते है जो जीवन कि शुरुआत कर देते है
बातों को समझ लेना ही हमारी जरुरत हर बार होती है बात के अंदर जब कोई जस्बात होते है जो हमे हर मोड पर आगे ले जाते है
बात के अंदर जीवन कि कहानी बनती है जिसे समझ लेना हर बार जरुरत होती है जीवन मे अलग अलग मतलब हर बार होते है
बातों के अंदर हर मोड को मतलब जब मिलते जिन्हे परख लेने से जीवन समझ लेना हर बार हम जरुरी समझ लेते है
बातों को मतलब तो हर बार जीवन कि हर दिशाओं से मिलते है जो जीवन को हर राह पर आगे ले जाते रोशनी दे जाते है
जीवन कि बाजी को समझ लेना हम जीवन मे जरुरी समझते है जिनके अंदर हम जीवन कि कहानी को कई किस्सों मे पढते है
बातों के अंदर कई मतलब तो होते ही है पर कुछ मतलब आसानी से समझ आते है और कुछ मतलब हम जीवन मे भुला देते है
पर बाते काफी नही होती है जब बातों के अंदर के मतलब जीवन कि दिशाए हर बार हर मोड पर बदलते जाते है

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