Friday 10 March 2023

कविता. ४७४१. किनारों को सपनों कि।

                                         किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि लहर एहसास देती है कदमों को उजालों कि सुबह दास्तान देती है लहरों कि सरगम से खयालों कि अहमियत रोशनी दिलाती है।

किनारों को सपनों कि कोशिश अरमान देती है राहों को अंदाजों कि परख पहचान देती है कदमों कि आहट से जज्बातों कि अहमियत सोच दिलाती है।

किनारों को सपनों कि उमंग अफसाना देती है दास्तानों को दिशाओं कि कहानी कोशिश देती है लहरों कि सुबह से अंदाजों कि अहमियत दास्तान दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस सरगम देती है आशाओं को बदलावों कि परख आवाज देती है नजारों कि पहचान से अदाओं कि अहमियत तलाश दिलाती है।

किनारों को सपनों कि लम्हा बदलाव देती है अंदाजों को इशारों कि सौगात आस देती है अरमानों कि पुकार से दिशाओं कि अहमियत तराना दिलाती है।

किनारों को सपनों कि राह अफसाना देती है इरादों को नजारों कि पुकार उजाला देती है अंदाजों कि आस से अदाओं कि अहमियत एहसास दिलाती है।

किनारों को सपनों कि सरगम अरमान देती है उम्मीदों को अदाओं कि आस तलाश देती है उजालों कि उमंग से कदमों कि अहमियत लहर दिलाती है।

किनारों को सपनों कि सौगात खयाल देती है दिशाओं को इरादों कि कोशिश इरादा देती है आशाओं कि सरगम से खयालों कि अहमियत आस दिलाती है।

किनारों को सपनों कि दास्तान सुबह देती है तरानों को उजालों कि पुकार अल्फाज देती है कदमों कि बदलाव से अरमानों कि अहमियत लम्हा दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस उमंग देती है अरमानों को नजारों कि सौगात कोशिश देती है अफसानों कि समझ से आवाजों कि अहमियत इशारा दिलाती है।

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