Sunday 5 March 2023

कविता. ४७३६. लम्हों को सपनों कि।

                                         लम्हों को सपनों कि।

लम्हों को सपनों कि आस एहसास देती है कदमों कि सोच से दिशाओं कि सुबह कहानी देकर जाती है जज्बातों को अंदाजों कि पुकार खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि आहट कोशिश देती है तरानों कि आस से एहसासों कि कोशिश सौगात देकर जाती है उम्मीदों को किनारों कि मुस्कान खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि सोच अल्फाज देती है अंदाजों कि लहर से आशाओं कि सरगम कोशिश देकर जाती है अदाओं को तरानों कि परख खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि अदा तलाश देती है बदलावों कि सोच से दास्तानों कि परख रोशनी देकर जाती है अरमानों को इशारों कि सरगम खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि राह आवाज देती है उजालों कि अदा से आवाजों कि धून पहचान देकर जाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि कोशिश सुबह देती है किनारों कि मुस्कान से लहरों कि सुबह अफसाना देकर जाती है अल्फाजों को राहों कि आस खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि सौगात उमंग देती है अफसानों कि समझ से आवाजों कि तलाश परख देकर जाती है इरादों को दास्तानों कि लहर खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि लहर बदलाव देती है आशाओं कि सरगम से अंदाजों कि पहचान कोशिश देकर जाती है एहसासों को आशाओं कि पुकार खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि सुबह अरमान देती है उम्मीदों कि लहर से नजारों कि परख अहमियत देकर जाती है अंदाजों को बदलावों कि सौगात खयाल दिलाती है।

लम्हों को सपनों कि आहट किनारा देती है उजालों कि पुकार से आवाजों कि धून पहचान देकर जाती है दिशाओं को अदाओं कि कोशिश खयाल दिलाती है।

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