Saturday, 18 March 2023

कविता ४७४९. उजालों को राहों कि।

                                                 उजालों को राहों कि।

उजालों को राहों कि उम्मीद सहारे देती है कदमों कि आहट आशाओं को किनारे देती है एहसासों कि रोशनी से आवाजों कि पुकार इशारा देती है।

उजालों को राहों कि सुबह दास्तान देती है दिशाओं कि कहानी अदाओं को तलाश देती है किनारों कि सोच से दास्तानों कि उम्मीद इशारा देती है।

उजालों को राहों कि रोशनी सौगात देती है खयालों कि समझ अंदाजों को कोशिश देती है बदलावों कि आस से एहसासों कि सुबह इशारा देती है।

उजालों को राहों कि आस सरगम देती है किनारों कि मुस्कान आवाजों को आस देती है कदमों कि पहचान से लहरों कि सरगम इशारा देती है।

उजालों को राहों कि मुस्कान अल्फाज देती है जज्बातों कि सोच खयालों को उमंग देती है दिशाओं कि कहानी से अरमानों कि पुकार इशारा देती है।

उजालों को राहों कि आवाज सरगम देती है आशाओं कि सौगात अंदाजों को उम्मीद देती है कदमों कि आहट से खयालों कि समझ इशारा देती है।

उजालों को राहों कि परख किनारा देती है राहों कि पहचान खयालों को अफसाना देती है लहरों कि सरगम से उम्मीदों कि कोशिश इशारा देती है।

उजालों को राहों कि सोच कोशिश देती है अदाओं कि पुकार दास्तानों को अल्फाज देती है लम्हों कि पहचान से अरमानों कि आस इशारा देती है।

उजालों को राहों कि आवाज जज्बात देती है अंदाजों कि परख दिशाओं को बदलाव देती है आशाओं कि सोच से आवाजों कि धून इशारा देती है।

उजालों को राहों कि पहचान सहारा देती है नजारों कि राह खयालों को अहमियत देती है किनारों कि मुस्कान से इरादों कि सुबह इशारा देती है।

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