Saturday 11 March 2023

कविता. ४७४२. उमंग कि आहट संग।

                                     उमंग कि आहट संग।

उमंग कि आहट संग आशाओं से तलाश दिलाती है कदमों को अदाओं कि आहट एहसास सुनाती है लम्हों को जज्बातों कि पुकार सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग अंदाजों से कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान इरादा सुनाती है किनारों को सपनों कि आस सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग कदमों से अल्फाज दिलाती है लहरों को इशारों कि समझ सुबह सुनाती है लहरों को नजारों कि पहचान सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग तरानों से सौगात दिलाती है इशारों को बदलावों कि कोशिश जज्बात सुनाती है राहों को कदमों कि आहट सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग दिशाओं से परख दिलाती है तरानों को अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है खयालों को इरादों कि अदा सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग आवाजों से धून‌ दिलाती है दास्तानों को एहसासों कि समझ रोशनी सुनाती है उजालों को सपनों कि कोशिश सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग खयालों से किनारा दिलाती है इरादों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है किनारों को अल्फाजों कि समझ सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग नजारों से लहर दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि परख अल्फाज सुनाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग जज्बातों से आस दिलाती है नजारों को कदमों कि आहट आवाज सुनाती है दास्तानों को एहसासों कि राह सहारा देती है।

उमंग कि आहट संग अफसानों कि समझ दिलाती है लहरों को इशारों कि मुस्कान सरगम सुनाती है नजारों को खयालों कि आस सहारा देती है।

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