Thursday, 9 March 2023

कविता. ४७४०. मुस्कान कि पुकार अक्सर।

                                    मुस्कान कि पुकार अक्सर।

मुस्कान कि पुकार अक्सर दिशाओं से तरानों कि आवाज दिलाती है लम्हों को खयालों कि पहचान इशारों कि मेहफिल देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर उम्मीदों से जज्बातों कि सोच दिलाती है लहरों को नजारों कि कोशिश तरानों कि सुबह देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर किनारों से आशाओं कि सरगम दिलाती है अदाओं को बदलावों कि तलाश कदमों कि आस देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर दास्तानों से किनारों कि सौगात दिलाती है कदमों को नजारों कि पहचान अरमानों कि रोशनी देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर लम्हों से अल्फाजों कि रोशनी दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि परख अंदाजों‌ कि सोच देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर लहरों से दिशाओं कि कोशिश दिलाती है बदलावों को सपनों कि आस आवाजों कि धून देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर अरमानों से तरानों कि सुबह दिलाती है अफसानों को उजालों कि पहचान खयालों कि कोशिश देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर अंदाजों से किनारों कि पहचान दिलाती है लहरों को आवाजों कि धून दास्तानों कि परख देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर इशारों से खयालों कि समझ दिलाती है किनारों को अफसानों कि रोशनी एहसासों कि आहट देकर जाती है।

मुस्कान कि पुकार अक्सर इरादों से कदमों कि सौगात दिलाती है नजारों को अरमानों कि कोशिश उम्मीदों कि सुबह देकर जाती है।

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