Friday 24 March 2023

कविता. ४७५५. लम्हों कि रोशनी अक्सर।

                                 लम्हों कि रोशनी अक्सर।

लम्हों कि रोशनी अक्सर एहसासों कि तलाश देती है दास्तानों को अदाओं कि कोशिश आवाज सुनाती है जज्बातों को कदमों कि आहट पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर अल्फाजों कि मुस्कान देती है किनारों को सपनों कि लहर सपना सुनाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर आवाजों कि धून देती है नजारों को राहों कि अहमियत बदलाव सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि समझ पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर आशाओं कि सरगम देती है उजालों को तरानों कि सुबह दास्तान सुनाती है इशारों को अंदाजों कि आस पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर जज्बातों कि सोच देती है इरादों को नजारों कि सौगात अफसाना सुनाती है आशाओं को अदाओं कि पुकार पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर खयालों कि समझ देती है अंदाजों को बदलावों कि सोच कोशिश सुनाती है इरादों को राहों कि मुस्कान पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर दास्तानों कि परख देती है लहरों को इशारों कि सरगम आस सुनाती है अरमानों को अदाओं कि परख पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर अरमानों कि सुबह देती है आशाओं को बदलावों कि सौगात कोशिश सुनाती है तरानों को उजालों कि सुबह पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर अंदाजों कि आस देती है कदमों को उजालों कि सरगम किनारा सुनाती है इशारों को दास्तानों कि तलाश पहचान दिलाती है।

लम्हों कि रोशनी अक्सर नजारों कि सोच देती है तरानों को उम्मीदों कि सुबह कोशिश सुनाती है जज्बातों को किनारों कि रोशनी पहचान दिलाती है।

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