Tuesday 28 March 2023

कविता. ४७५९. राहों कि मुस्कान से।

                                       राहों कि मुस्कान से।

राहों कि मुस्कान से नजारों कि पहचान पुकार दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर सपनों कि कोशिश सुनाती है तरानों को लहरों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से जज्बातों कि सोच अरमान दिलाती है दिशाओं कि समझ अक्सर बदलावों कि सोच सुनाती है लम्हों को खयालों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से अदाओं कि कोशिश सुबह दिलाती है इशारों कि सौगात अक्सर इरादों कि पहचान सुनाती है उजालों को सपनों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से आशाओं कि परख रोशनी दिलाती है उम्मीदों कि सोच अक्सर एहसासों कि समझ सुनाती है इरादों को नजारों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से दास्तानों कि उमंग तलाश दिलाती है खयालों कि आस अक्सर अरमानों कि पुकार सुनाती है इशारों को लम्हों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से तरानों कि आस परख दिलाती है लहरों कि अहमियत अक्सर दिशाओं कि कहानी सुनाती है खयालों को अंदाजों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से कदमों कि आहट आस दिलाती है बदलावों कि सुबह अक्सर दास्तानों कि परख सुनाती है अफसानों को अल्फाजों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से किनारों कि सोच आवाज दिलाती है उम्मीदों कि पुकार अक्सर दिशाओं कि पहचान सुनाती है कदमों को अदाओं कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से अरमानों कि सुबह दास्तान दिलाती है लम्हों कि आहट अक्सर एहसासों कि तलाश सुनाती है उम्मीदों को किनारों कि सरगम सुनाती है।

राहों कि मुस्कान से दिशाओं कि कहानी अल्फाज दिलाती है आशाओं कि सोच अक्सर नजारों कि सौगात सुनाती है एहसासों को खयालों कि सरगम सुनाती है।

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