Friday, 31 March 2023

कविता. ४७६२. किनारों को सपनों कि।

                                   किनारों को सपनों कि।

किनारों को सपनों कि सुबह अरमान दिलाती है दास्तानों से कदमों कि आहट अल्फाज देती है आवाजों को राहों कि मुस्कान खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि आस नजारा दिलाती है तरानों से एहसासों कि लहर आवाज देती है लम्हों को जज्बातों कि सोच खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि पुकार अफसाना दिलाती है अदाओं से नजारों कि पहचान इशारा देती है अंदाजों को उजालों कि पुकार खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी कोशिश दिलाती है राहों से आशाओं कि सोच अहमियत देती है बदलावों को दिशाओं कि कहानी खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि बदलाव आवाज दिलाती है लहरों से दास्तानों कि राह कोशिश देती है अरमानों को उजालों कि पहचान खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि राह अंदाज दिलाती है कदमों से जज्बातों कि मुस्कान इरादा देती है लहरों को नजारों कि सरगम खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि तलाश आहट दिलाती है उम्मीदों से दिशाओं कि कहानी आवाज देती है कदमों को अदाओं कि पुकार खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि रोशनी मुस्कान दिलाती है आशाओं से लहरों कि सुबह दास्तान देती है अल्फाजों को इशारों कि आहट खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि उमंग सौगात दिलाती है लम्हों से अल्फाजों कि सरगम नजारा देती है एहसासों को दास्तानों कि कहानी खयाल दिलाती है।

किनारों को सपनों कि सोच परख दिलाती है इशारों से अरमानों कि पुकार कोशिश देती है लम्हों को अफसानों कि पहचान खयाल दिलाती है।



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