Saturday 4 March 2023

कविता. ४७३५. नजारों कि पहचान अक्सर।

                                  नजारों कि पहचान अक्सर।

नजारों कि पहचान अक्सर इशारे देती है सपनों को आशाओं कि सरगम तलाश दिलाती है लहरों संग किनारों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर तराने देती है कदमों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है एहसासों संग लम्हों कि पुकार कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर उजाले देती है दिशाओं को बदलावों कि सौगात बदलाव दिलाती है अदाओं संग जज्बातों कि सुबह कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर उम्मीदे देती है खयालों को अंदाजों कि आस एहसास दिलाती है अरमानों संग दास्तानों कि राह कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर सपने देती है अदाओं को जज्बातों कि मुस्कान अफसाना दिलाती है अल्फाजों संग कदमों कि आहट कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर दास्ताने देती है आशाओं को बदलावों कि सोच सपना दिलाती है अफसानों संग किनारों कि सौगात कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर लम्हे देती है अंदाजों को जज्बातों कि सुबह अरमान दिलाती है दिशाओं संग एहसासों कि समझ कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर तराने देती है खयालों को अल्फाजों कि परख दास्तान दिलाती है लम्हों संग आवाजों कि धून कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर किनारे देती है अदाओं को तरानों कि आस सरगम दिलाती है कदमों संग इशारों कि समझ कोशिश सुनाती है।

नजारों कि पहचान अक्सर इरादे देती है दिशाओं को बदलावों कि आहट अल्फाज दिलाती है आशाओं संग किनारों कि सोच कोशिश सुनाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...