Wednesday 11 October 2023

कविता. ४९५६. किनारों को सपनों संग।

                               किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग अरमान की लहर पुकार देती है कदमों को अदाओं से एहसासों की पहचान इशारा देती है लम्हों को खयालों की मुस्कान आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग अल्फाज की सुबह उमंग देती है तरानों को अंदाजों से जज्बातों की सरगम कोशिश देती है राहों को लम्हों की आहट आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग आस की कहानी नजारा देती है आशाओं को बदलावों से धाराओं की आस रोशनी देती है दास्तानों को एहसासों की सोच आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग उम्मीद की सौगात तलाश देती है दिशाओं को अल्फाजों से तरानों की सोच बदलाव देती है कदमों को उजालों की सुबह आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग सरगम की राह उम्मीद देती है नजारों को खयालों से आशाओं की लहर परख देती है लहरों को इरादों की पुकार आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग उमंग की समझ कोशिश देती है लहरों को उजालों से धाराओं की कहानी पहचान देती है उम्मीदों को आशाओं की आस आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग जज्बात की सरगम उजाला देती है अदाओं को तरानों से दिशाओं की सोच सुबह देती है अरमानों को दास्तानों की परख आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग समझ की सोच अफसाना देती है लम्हों को दिशाओं से अल्फाजों की मुस्कान रोशनी देती है अंदाजों को लहरों की कहानी आवाज दिलाती है।

किनारों को सपनों संग सौगात की लहर अहमियत देती है इशारों को अंदाजों से आशाओं की अदा सहारा देती है बदलावों को कदमों की सरगम आवाज दिलाती है।

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