Saturday 14 October 2023

कविता. ४९५९. इशारों को लम्हों की।

                                  इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की पहचान परख दिलाती है कदमों को अदाओं की कोशिश आस सुनाती है खयालों मे अंदाजों की राह संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की समझ तलाश दिलाती है लहरों को उजालों की पुकार अफसाना सुनाती है नजारों मे बदलावों की मुस्कान संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की सौगात तराना दिलाती है आशाओं को जज्बातों की रोशनी सपना सुनाती है उम्मीदों मे कदमों की सोच संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की सरगम आवाज दिलाती है इरादों को तरानों की आहट समझ सुनाती है दास्तानों मे दिशाओं की लहर संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की सुबह आस दिलाती है नजारों को खयालों की मुस्कान लहर सुनाती है एहसासों मे अदाओं की परख संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की आहट पहचान दिलाती है जज्बातों को बदलावों की सोच अफसाना सुनाती है कदमों मे अंदाजों की पुकार संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की उमंग तराना दिलाती है अल्फाजों को उजालों की पहचान सहारा सुनाती है किनारों मे सपनों की आस संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की कोशिश उम्मीद दिलाती है लहरों को एहसासों की कहानी आस सुनाती है आशाओं मे दिशाओं की तलाश संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की आवाज अल्फाज दिलाती है किनारों को सपनों की सुबह पहचान सुनाती है उजालों मे इरादों की कहानी संग अरमान जगाती है।

इशारों को लम्हों की परख सहारा दिलाती है नजारों को दिशाओं की कहानी बदलाव सुनाती है जज्बातों मे कदमों की उम्मीद संग अरमान जगाती है।

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