Friday 6 October 2023

कविता. ४९५१. किनारों को सपनों संग।

                               किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग कदमों की आहट सपना दिलाती है लहरों को इशारों की समझ सरगम दिलाती है तरानों को अरमानों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग एहसासों की कहानी अफसाना दिलाती है राहों को अंदाजों की आस अल्फाज दिलाती है नजारों को खयालों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अरमानों की सोच बदलाव दिलाती है दास्तानों को अदाओं की समझ खयाल दिलाती है लम्हों को कदमों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग आवाजों की धून रोशनी दिलाती है आवाजों को जज्बातों की सौगात एहसास दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग आशाओं की मुस्कान कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों की आहट परख दिलाती है अंदाजों को बदलावों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अंदाजों की परख सरगम दिलाती है दिशाओं को तरानों की सौगात तलाश दिलाती है लम्हों को आशाओं की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग नजारों की कहानी पहचान दिलाती है कदमों को उजालों की सुबह कोशिश दिलाती है अदाओं को इरादों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग तरानों की सौगात तलाश दिलाती है बदलावों को दिशाओं की समझ सरगम दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग एहसासों की रोशनी समझ दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान उमंग दिलाती है लहरों को इशारों की पुकार सुनाती है।

किनारों को सपनों संग अल्फाजों की आस अल्फाज दिलाती है लहरों को नजारों की सुबह अहमियत दिलाती है आवाजों को राहों की पुकार सुनाती है।

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